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27 July Special Day in India | APJ Abdul Kalam Death anniversary

सफलता का दूसरा नाम APJ Abdul Kalam | 27 July Big day of India For APJ Abdul Kalam 

27 July

APJ Abdul Kalam

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1981 को रामेश्वरम के एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. साल 2002 में कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए. 5 साल की सेवा के बाद, वे शिक्षण, लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट आए. उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ के रूप में भी जाने जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम इस सदी में भारत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं. 

डॉ. अब्दुल कलाम देश के 11वें राष्‍ट्रपत‍ि थे और राष्‍ट्रपत‍ि कार्यकाल के दौरान देश और दुन‍िया से इतना प्‍यार पाने वाले संभवत: वो पहले राष्‍ट्रपत‍ि थे. इसल‍िए उन्‍हें ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ का नाम भी द‍िया गया. उनकी सोच, सौम्‍य व्‍यवहार, जीवन के संघर्ष के बीच जीतने की ललक और उनका वीजन उन्‍हें सबसे अलग बनाता था. राष्‍ट्रपत‍ि बनने से पहले कलाम एक साइंट‍िस्‍ट थे और उन्‍होंने साल 1998 में दूसरे पोखरण परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम से भी जुड़े थे. इसलिए उन्हें “मिसाइल मैन” भी कहा जाता है. 

जब टूट गया था डॉ. अब्दुल कलाम का सबसे बड़ा सपना, इंटरव्यू में हो गए थे फेल

डॉक्टर ए.पी. जे.अब्दुल कलाम ने अपनी हर असफलता को एक नसीहत के तौर पर लिया. वे इनके कारणों की तह तक गए और उनकी सीख से आगे की राह चुनी. उनकी सोच थी कि निराशा से उबरने के बाद नए रास्ते खुलेंगे. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आइए जानते हैं डॉ. अब्दुल कलाम का वो किस्सा जब वो अपने सबसे बड़े सपने को हासिल करने से चूक गए

APJ Abdul Kalam quotes

“जनता के राष्ट्रपति ” और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार डॉक्टर ए.पी. जे.अब्दुल कलाम मानते थे कि व्यक्ति जब तक विफलता की कड़वी गोली नहीं चखता, तब तक सफलता के लिए पूरे समर्पण के साथ जुट नहीं पाता. उन्होंने सिक्के के दोनों पहलू देखे. सफलता के आकाश चूमे तो ऐसा भी वक्त देखा जब निराशा के गहरे गर्त में खुद को पाया. लेकिन इन विफलताओं से सीख लेकर वे सपनों को सच करने की तैयारी में जुटे रहे और कामयाबी की अमिट इबारतें लिख गए. वे कहते थे, ” सपने वे नहीं हैं जो हम नींद में देखते हैं. बल्कि सपने वे होते हैं , जो हमें सोने नहीं देते.” पुण्यतिथि के मौके पर उनकी किताब ” माई जर्नी : ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन टू एक्शंस ” के जरिए याद करते हैं उनकी जिंदगी के कुछ ऐसे कुछ प्रसंग जब असफलताओं से मिली सीख ने उन्हें नई तैयारी के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.

मद्रास प्रोद्योगिकी संस्थान के मेधावी छात्र कलाम कुछ क्षणों के लिए बेचैन हो गए थे , जब उनके प्रोफेसर ने एक डिजाइन तैयार करने में उनकी असफलता के बाद स्कॉलरशिप रद्द करने की चेतावनी दी थी. चार छात्रों की उस टीम के कलाम इंचार्ज थे, जिसे प्रोफेसर श्रीनिवासन ने कमऊंचाई पर उड़ने वाले एक लड़ाकू विमान की डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. कई दिनों की मेहनत के बाद इसे कलाम की टीम ने तैयार किया. प्रोफेसर को ये टीम अपने काम से प्रभावित करना चाहती थी, इसलिए हर पहलू पर काफी सोच – विचार और तैयारी के साथ डिजाइन पर काम किया गया था.

प्रोफेसर श्रीनिवासन की पारखी नजरों ने उसका परीक्षण किया. कलाम एक टक उन्हें निहार रहे थे. लेकिन उनकी भौंहें सिकुड़ी. अगले शब्द कलाम के लिए विचलित करने वाले थे, “यह इतना अच्छा डिजाइन नहीं है. मुझे तुमसे ज्यादा उम्मीद थी. यह निराशाजनक है. मुझे बहुत निराशा हुई. तुम्हारा जैसा होनहार छात्र और ऐसा काम ! ” हमेशा एक मेधावी छात्र के रूप में शाबाशी पाने वाले कलाम के लिए किसी टीचर की फटकार का यह पहला अनुभव था. श्रीनिवासन यहीं नहीं रुके. उनकी अगली हिदायत चुनौती थी और चेतावनी भी, “अभी शुक्रवार की दोपहर है. सोमवार की शाम तक पूरा नया डिजाइन देखूंगा. ऐसा नहीं कर सके तो तुम्हारी स्कॉलरशिप बंद कर दी जाएगी.”

फिर मुस्कुराना, गले लगाना और पीठ थपथपाना

कलाम इसी स्कॉलरशिप की बदौलत संस्थान में एयरोनॉटिक्स की पढ़ाई कर रहे थे. प्रोफेसर की डांट की पीड़ा और स्कॉलरशिप बंद होने की आशंका ने कुछ क्षणों के लिए उन्हें मायूस किया. लेकिन अगले ही पल वे निराशा से उबरे . काम में दृढ़ निश्चय के साथ जुट गए. खाने – पीने की भी सुध नहीं रही. उन्होंने लिखा,

” पूरी रात मैं ड्राइंग बोर्ड पर काम करता रहा. इसके पहले मेरे डिजाइन के कल – पुर्जे मेरे मस्तिष्क में तैर रहे थे. लेकिन अचानक वे इकट्ठे होके सामने आने लगे और ऐसी आकृति साफ दिखने लगी जिस पर मैं काम कर सकता था. मैंने अपने दिमाग के जाले साफ किए. अगली सुबह मेरी आत्मविश्वास और बढ़ा हुआ था. रविवार की शाम तक मेरा काम पूरा हो चुका था. एक साफ – सुथरा डिजाइन जिस पर मैं भरोसा कर सकता था. जब डिजाइन को मैं अंतिम रूप दे रहा था ,मुझे लगा कि कमरे में कोई मौजूद है. मैं पलटा. वो प्रोफेसर विद्यानिवासन थे. मुझे नहीं पता चला कि वे कबसे कमरे में मेरा काम देख रहे थे. जैसे ही हमारी नजरें मिलीं. वे आगे आए. कुछ मिनट तक बारीकी से डिजाइन का मुआयना किया. फिर मुस्कराए. मैं हैरान था. फिर मुझे गले लगा लिया. पीठ थपथपाई. यह काम असाधारण कोटि का है. मैंने नामुमकिन समय सीमा तय कर दी थी. लेकिन तुमने कर दिखाया. मैंने तुम्हारी सीमा से आगे का काम सौंपा. ताकि तुम अपनी क्षमता और संभावनाओं को समझ सको.”

नौकरी के वे दो अवसर

लेकिन अगली असफलता एक बार फिर कलाम का इंतजार कर रही थी. एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एच.ए.एल. बेंगलूर में काम करने लगे थे. तय किया था कि फ्लाइंग के क्षेत्र में करियर बनाना है. लड़ाकू विमान उड़ाना उनका सपना था. इस मुकाम पर उन्हें नौकरी के दो अवसर मिले. एक वायु सेना से और दूसरा रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय से. दोनों इंटरव्यू की कॉल आई. उत्पादन निदेशालय का इंटरव्यू दिल्ली में हुआ. आत्मविश्वास से भरे कलाम को यह इंटरव्यू काफी आसान लगा और वे अपने चयन के प्रति आश्वस्त थे.

बचपन से देखा उड़ने का सपना

लेकिन कलाम की प्राथमिकता में वायु सेना चयन बोर्ड का वह इंटरव्यू था, जिसकी कामयाबी उन्हें बचपन से देखे जा रहे सपने को सच कर सकती थी. उन्होंने मद्रास प्रोद्योगिकी संस्थान के निकट अपने साथियों सहित पहली बार विमान देखा था. वहां छात्रों को विमान के सब सिस्टम दिखाने के लिए दो विमान रखे गए थे. उनके प्रति कलाम के मन में गहरा आकर्षण था. उन्होंने लिखा, “वे मुझे बार – बार अपनी ओर खींचते थे. मुझे अपनी सीमाओं से परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी देते थे. मेरे सपनों को पंख लगाते थे. मैंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को उड़ान भरने के अपने आकर्षण के कारण ही चुना था. बचपन से उड़ने की अभिलाषा मुझमें पलती रही. मेरा सबसे प्यारा सपना यही था कि सुदूर आकाश में ऊंची और ऊंची उड़ान भरती मशीन को हैंडिल किया जाए. ”

जब वो सपना टूटा

वायुसेना पायलट का इंटरव्यू देहरादून में था. तामिलनाडु से देहरादून की यात्रा काफी लंबी थी. लेकिन कलाम खुशियों से भरे थे. वे उस मंजिल की ओर बढ़ रहे थे , जो अब तक उनके सपनों में दिखती थी. अब वे सच में पायलट बनने की दहलीज पर खड़े थे. लेकिन आगे उनका चाहा पूरा नहीं हुआ. पायलट की आठ रिक्तियां थीं. पच्चीस ने इंटरव्यू दिया. कलाम नौंवें स्थान पर थे. फाइटर प्लेन उड़ाने का उनका सपना टूट गया. खुद को उन्होंने गहरी निराशा में घिरा और टूटा पाया. लेकिन एक बार फिर उनके आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति ने अगली सफलताओं के लिए उन्हें प्रेरित किया. तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय में वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक के पद पर उनका चयन हो गया. उन्होंने फाइटर प्लेन उड़ाने का सपना टूटने के मातम की जगह नई जिम्मेदारी से जुड़े सपने देखने और उन्हें सच में बदलने के लिए खुद को समर्पित कर दिया.

हर असफलता से ली सीख

कलाम ने अपनी हर असफलता को एक नसीहत के तौर पर लिया. वे इनके कारणों की तह तक गए और उनकी सीख से आगे की राह चुनी. उजाले की उम्मीद हमेशा कायम रखी. उनकी सोच थी कि निराशा से उबरने के बाद नए रास्ते खुलेंगे. वे देश के अग्रणी यशस्वी वैज्ञानिक बने. उपग्रह प्रक्षेपण यान और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वे वास्तुकार थे. एस. एल.वी. – 3 ,’ अग्नि ‘ और पृथ्वी ‘ उनकी मेधा और नेतृत्व क्षमता के प्रमाण हैं. उनके अथक प्रयासों से भारत रक्षा तथा वायु – आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बना. देश के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में वे सच्चे अर्थों में जनता के राष्ट्रपति थे.

छात्रों – युवाओं को प्रेरित करने के लिए वे जीवनपर्यंत प्रयासरत रहे. जीवन के आखिरी दो दशकों में 1.6 करोड़ युवाओं से उन्होंने भेंट – संवाद किया. राष्ट्रपति के अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने आठ लाख छात्रों से अपनी मुलाकातों में रचनात्मक विकास के संकल्पों से से जुड़ने का आह्वान किया. वे मूलतः वैज्ञानिक थे. भारत के मिसाइल मैन. वे भारत को महाशक्ति के रूप में वे देखना चाहते थे. इसके लिए वे युवाओं का समर्पण जरूरी मानते थे. उन्हें जोड़ने की उनकी कोशिशें आखिरी समय तक जारी रहीं.

APJ Abdul Kalam Books List: 

अपनी व्‍यस्‍तता के बीच अब्‍दुल कलाम ने कई क‍िताबें भी लिखीं. वो छात्र या पेशेवर, जो जीवन में सफल होना चाहते हैं, उन्‍हें डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम की ये 5 क‍िताबें जरूर पढ़नी चाह‍िए. 

1. APJ Abdul Kalam write Wings of Fire: 

ये एक आत्‍मकथा है, ज‍िसे साल 1999 में पब्‍ल‍िश क‍िया गया था. अब्‍दुल कलाम के जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. इसल‍िए हर छात्र को ये क‍िताब जरूर पढ़नी चाह‍िए. 

2. APJ Abdul Kalam write You Are Born to Blossom: 

इसे साल 2011 में प्रकाश‍ित क‍िया गया था. यह बुक एक एक्स्ट्रा आर्डिनरी है जो बहुत प्रनादय्क है आपको जीवन मे एक बार जररू पढनी शाहिये 

3.APJ Abdul Kalam write Failure to Success: 

इस क‍िताब को भी उन्‍होंने साल 2011 में ही प्रकाश‍ित क‍िया था. ये क‍िताब उन लोगों को जरूर पढ़नी चाह‍िए जो असफलता से घबराते हैं

4.APJ Abdul Kalam write You are Unique: Scale New Heights by Thoughts and Actions :

ये बात सच है क‍ि हर व्‍यक्‍त‍ि यून‍िक होता है और यही यून‍िकनेस उसे कामयाबी का रास्‍ता द‍िखा सकती है. साल 2012 पब्‍ल‍िश हुई इस क‍िताब को  पढ़ने के बाद आपको अपने अंदर नई ऊर्जा जरूर महसूस होगी. 

5.APJ Abdul Kalam write Thoughts for Change: We Can Do It: 

ये क‍िताब उन लोगों को जरूर पढ़नी चाह‍िए जो नई चुनौत‍ियों और बदलाव से घबराते हैं. साल 2013 में प्रकाश‍ित ये क‍िताब आपको कुछ कर द‍िखाने के ल‍िए अंदर से तैयार कर देगी. 

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